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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...67
विधि
दायें हाथ को मध्य रेखा के सन्मुख रखते हुए अंगुलियों एवं अंगूठे को शिथिलता के साथ ऊपर उठाना वन्दना मुद्रा है। 39
लाभ
वंदना मुद्रा
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।
34. विस्मय मुद्रा
हिन्दू परम्परा में विस्मय मुद्रा के दो प्रकार मिलते हैं। दोनों प्रकार की मुद्राएँ विस्मय, भय और श्रद्धा की सूचक है। उनकी रचना विधि निम्न है