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64... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में विधि ___ बायें हाथ को शरीर से दूर रखते हुए हथेली को अधोमुख करें तथा अगुलियों एवं अंगूठे को शिथिलता के साथ आगे की ओर फैलायें, इस भाँति सिंहकर्ण मुद्रा बनती है।36
लाभ
सिंहकर्ण मुद्रा चक्र- स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र तत्त्व- जल एवं वायु तत्त्व प्रन्थिप्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण प्रणाली। 31 तत्त्व मुद्रा
तत्त्व का अर्थ है- यथार्थता, वास्तविकता, सारभूत तत्त्व। अपने नाम के अनुसार यह मुद्रा सत्य की सूचक है।
हिन्दु परम्परा के अनुसार यह मुद्रा किसी भी हाथ से की जा सकती है। इसकी विधि यह है