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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...61 हिन्दू परम्परा में यह मुद्रा पुष्प पूजा के उद्देश्य से की जाती है। इसकी विधि निम्न हैविधि ___ दोनों हाथों की बाह्य किनारियों को मिलाते हुए हथेलियों एवं अंगुलियों की आकृति उस भाँति बनायें कि जिसमें चढ़ाने के रूप में पुष्प धारण किये जा सकें, इस तरह पुष्पाञ्जली मुद्रा बनती है।32
लाभ
पुष्पांजली मुद्रा चक्र- स्वाधिष्ठान , अनाहत एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- जल, वायु एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य, आनंद एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, मेरूदण्ड, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र। 28. पुष्पपुट मुद्रा
यह मुद्रा हिन्दू परम्परा में एवं नाटकों आदि में धारण की जाती है। यह पुष्प, जल आदि अर्पण करने की मुद्रा है। इस मुद्रा का वर्णन नाट्य मुद्राओं में किया गया है।33