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60... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में - विधि
इस मुद्रा में दायें हाथ का ऊपरी भाग कंधे के समानान्तर हो, भुजायें कोहनी से झुकी हुई, हथेली स्वयं के अभिमुख तथा अंगुलियाँ और अंगूठा ऊपर की तरफ उठे हुए रहने पर प्रवर्तित हस्त मुद्रा बनती है | 31
लाभ
प्रवर्तित हस्त मुद्रा
चक्र
मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं जल तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, मेरूदण्ड, पाँव।
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27. पुष्पाञ्जली मुद्रा
फूलों से भरी हुई अंजली पुष्पांजली कहलाती है। इस मुद्रा के द्वारा पुष्पों को अर्पित करने के भाव अभिव्यक्त किये जाते हैं, अतः इसका नाम पुष्पाञ्जली मुद्रा है।