________________
52... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में विधि
इस मुद्रा में बायें हाथ को कमर के स्थान पर आराम की मुद्रा में रखते हैं तथा अंगुलियाँ आगे की ओर एवं अंगूठा पीछे या पार्श्व भाग में रखा जाता है। यह मुद्रा कटिमुद्रा, कटिसमस्थित एवं कट्यावलम्बित मुद्रा से सम्बन्धित है। 23
कटिंग मुद्रा
लाभ
चक्र - मणिपुर एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र - तैजस एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन संस्थान, नाड़ी संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, मेरूदण्ड, पाँव, गुर्दे।
20 कट्यावलम्बित मुद्रा
इस मुद्रा में कटि भाग को आधारित करते हुए मुद्रा प्रयोग किया जाता है इसलिए इसका नाम कटयावलम्बित मुद्रा है। यह असंयुक्त मुद्रा हिन्दू परम्परा में आराम एवं अनौपचारिकता की सूचक है।