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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...37
इस मुद्रा में छुपा रहस्य यह है कि बगुला, सारस आदि पक्षी तालाब के किनारे खड़े होकर अपनी चतुरता से कई मछली आदि कई जीवों का भक्षण कर लेते हैं दर्शाया मुद्रा चित्र भी तालाब के किनारे खड़े बगुला आदि पक्षी के समान ही प्रतिभासित होता है। इस प्रकार इस मुद्रा की तुलना बगुला पक्षी से की गई है। प्रस्तुत मुद्रा के तीन प्रकारान्तर हैं, जिनमें दो प्रकार हिन्दू परम्परा में देवीदेवताओं के द्वारा धारण किये जाते हैं।
प्रथम
दायें हाथ को कमर और कंधे के बीच धारण करते हुए हथेली को सामने की तरफ अभिमुख करें तथा अंगुलियों एवं अंगूठे को सर्पफण की तरह किंचित झुकाने पर प्रथम प्रकार की चतुर मुद्रा बनती है। 8
चतुर मुद्रा - 1
चक्र
• मणिपुर एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं शक्ति केन्द्र विशेष
लाभ