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34... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा अंगुलियाँ सिकुड़ी हुई रहती हैं और वह सांकेतिक दृष्टि से चित्त को बहिर्जगत से आभ्यन्तर जगत की ओर उन्मुख होने का संदेश देती है। यह अन्तर्मुखता, शान्ति एवं स्थिरता का प्रतीक है। ___ इस तरह कुम्भ मुद्रा अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। विधि
"किंचिदाकुंचितांगुलीकस्य वामहस्तस्योपरि शिथिलमुष्टि दक्षिणकर स्थापनेन कुम्भमुद्रा।"
अर्थात बायें हाथ की कुछ झुकी हुई अंगुलियों के ऊपर दाहिने हाथ की ढीली मुट्ठी स्थापित करने पर कुम्भ मुद्रा बनती है।
कुम्भ मुद्रा सुपरिणाम
• शारीरिक दृष्टि से देह की धारणा शक्ति बढ़ती है। पाँचों अंगुलियों पर स्वाभाविक दबाव पड़ने से पाँचों तत्त्व संतुलित रहते