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________________ मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...319 101. कमण्डलु मुद्रा ___ इस मुद्रा का स्वरूप वर्णन विधिमार्गप्रपा मुद्रा नं. 33 के समान है। किसी भी वस्तु, व्यक्ति या स्थान को पवित्र करने के लिए कमण्डलु मुद्रा दिखाते हैं। इस मुद्रा का बीज मन्त्र 'श' है। 102. परशु मुद्रा यह मुद्रा विधिमार्गप्रपा में वर्णित मुद्रा नं. 34 के सदृश है। दष्ट तत्त्वों के वशीकरणार्थ और शाकिनी-डाकिनी आदि प्रेतात्माओं के भय निवारणार्थ परशु मुद्रा की जाती है। इसका बीज मन्त्र 'ष' है। 103. अपर परशु मुद्रा इस मुद्रा का स्वरूप विधिमार्गप्रपा मुद्रा नं. 35 के समान है। अपर परशु मुद्रा दृष्टि दोष के निवारण हेतु की जाती है। इसका बीज मन्त्र ‘स' है। 104. वृक्ष मुद्रा वृक्ष मुद्रा विधिमार्गप्रपा उल्लिखित मुद्रा नं. 36 के समान है। यह मुद्रा अशोक वृक्ष की रचना करने पर और शिष्य की पद स्थापना आदि करने पर दिखायी जाती है। इस मुद्रा के प्रभाव से शिष्य वृक्ष की भाँति फलता-फूलता रहता है। .. इसका बीज मन्त्र 'ह' है। 105. सर्प मुद्रा यह मुद्रा विधिमार्गप्रपा मुद्रा नं. 37 के समान ही है। प्रस्तुत मुद्रा सर्पादि जन्तुओं के उपसर्ग का निवारण करने के लिए एवं शाकिनी प्रेतात्मा का अपनयन करने के लिए दर्शायी जाती है। इसका बीज मन्त्र ‘अं' है।
SR No.006254
Book TitleJain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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