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318... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
नाद मुद्रा सुपरिणाम
. नाद मुद्रा को धारण करने से मणिपुर एवं सहस्रार चक्र जागृत होते हैं। इससे मनोविकार घटते है एवं परमार्थ में रुचि बढ़ती है। साधक को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
• यह मुद्रा शारीरिक समस्याएँ जैसे कि मस्तिष्क कैन्सर, अस्थिरता, पुरानी बीमारी, पार्किन्सन्स रोग, बुखार, अल्सर आदि में लाभ देती है।
• अग्नि एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा अतीन्द्रिय क्षमता को प्रस्फुटित करती है। शरीरस्थ अग्नि को जागृत कर ऊर्जा का ऊर्ध्वारोहण करती है। भावों एवं विचारों में उत्साह एवं जोश लाती है।
• एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीनियल ग्रंथि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा शैशव अवस्था में कामवृत्ति को नियंत्रित रखती है। निर्णय, नियंत्रण एवं नेतृत्व शक्ति का विकास करती है तथा साधक को साहसी, निर्भया, सहनशील, आशावादी बनाती है।