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मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...293 प्रयोग व्याख्यान के प्रारम्भ में, स्वदेह के रक्षणार्थ तथा परचक्र एवं चोर निवारण के निमित्त करते हैं।
इसका बीज मन्त्र ‘ल' है। 48. घृतभृत कुंभ मुद्रा
घृत से भरा हुआ कलश घृतभृत कुंभ कहलाता है। इस मुद्रा के माध्यम से घृत पूरित कुंभ का प्रतिरूप दर्शाया जाता है। प्रतिष्ठा के दिनों में कुंभ स्थापना करते वक्त कुंभ को पंचरत्न सहित घृत से भरा जाता है, उसे लक्षित कर यह मुद्रा करते हैं।
इस मुद्रा का बीज मन्त्र 'व' है। विधि
"पूर्ववद् प्रथितांगुलीको करौ कृत्वांगुष्ठाभ्यां विधानं कुर्यात् मध्ये किंचिद् विवरे घृतभृतकुंभमुद्रा।"
कवच मुद्रा की भाँति दोनों हाथों की अंगुलियों को एक-दूसरे में गूंथकर
घतभृत कुंभ मुद्रा