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254... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
स्वस्तिक मुद्रा
दायें हाथ की मध्यमा के ऊपर बायें हाथ की मध्यमा को रखें। तदनन्तर उन दोनों मध्यमाओं के अग्रभाग पर दोनों तर्जनियों का परस्पर योग कर उनके मूल भाग में अंगुष्ठ द्वय को संस्थापित करने पर स्वस्तिक मुद्रा बनती है।
15. चतुर्मुख मुद्रा जिस मुद्रा में चार मुख दिखायी पड़ते हैं अथवा जिस मुद्रा में चार मुख जैसी आकृति बनायी जाती है उसे चतुर्मुख मुद्रा कहते हैं ।
उपर्युक्त मुद्रा चार मुख (द्वार) से युक्त प्रासाद एवं चार जटाओं से युक्त नारियल की सूचक है।
यह मुद्रा दीक्षा आदि मांगलिक कार्यों के प्रसंग पर की जाती है। इस मुद्रा को दिखाने से चार द्वार युक्त जिनालय का स्थैर्यत्व होता है । इसका बीज मन्त्र 'ए' है।