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218... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
पाश मुद्रा
अग्नि एवं आकाश तत्त्व को संतुलित रखते हुए यह मुद्रा पाचन एवं श्वसन प्रक्रिया को संतुलित करती है तथा तत्सम्बन्धी विकारों का उपशमन करती है। हृदय में सद्भावों का जागरण एवं ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन करती है।
• आध्यात्मिक स्तर पर आत्मिक परिणामों में बदलाव आता है। चिन्तन शक्ति विकसित होती है।
इस मुद्रा प्रभाव से दर्शन एवं तेजस केन्द्र की ऊर्जा सम्यक दिशा में प्रवृत्त होती हैं।
पीयूष, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रंथियों के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा आन्तरिक एवं शारीरिक हलन-चलन, मानसिक विकास, अस्थि तंत्र सम्बन्धी समस्या तथा स्वभाव एवं मनोवृत्तियों को नियंत्रित रखती है।