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166... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 64. अभय मुद्रा
जिस मुद्रा के द्वारा समस्त प्रकार के भयों को दूर किया जाता है उसे अभय मुद्रा कहते हैं। भगवान महावीर ने अभय मुद्रा का प्रयोग कर चण्डकौशिक जैसे हिंसक प्राणी का उद्धार किया था।
अभय मुद्रा को देखकर चित्त शुद्धि का संकेत मिलता है। इस मुद्रा के प्रयोग से आत्मतुला का सिद्धान्त पुष्ट होता है। प्रतीकात्मक दृष्टि से यह मुद्रा मैत्री-दया आदि भावों का सूचक है। यह मुद्रा निश्छल प्रेम की संवाहक है। इस मुद्रा के माध्यम से अभय गुण को प्रकट किया जा सकता है।
प्रतिष्ठा आदि के प्रसंग पर प्राणी मात्र को भयमुक्त करने एवं अरिहंत परमात्मा के सर्वोत्तम गुण को प्रकाशित करने के उद्देश्य से अभय मुद्रा दिखाई जाती है। विधि
"दक्षिणहस्तेनोांगुलिना पताकाकरणादभय मुद्रा।"
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अभय मुद्रा