________________
156... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा यह कई प्रकार के हार्मोन्स उत्पन्न करती है तथा अन्य ग्रन्थियों का नियंत्रण भी करती है। अब तक की खोज के अनुसार यह ग्रन्थि अस्थियों की वृद्धि, अधिवृक्क, स्तन में दूध की उत्पत्ति, कार्बोहाईड्रेट, अग्नाशय की क्रियाशीलता, रक्तकणों की उत्पत्ति आदि के लिए हारमोन्स का निर्माण करती है।
• इस मुद्रा में विशुद्धि चक्र प्रभावित होने से हकलाना, गूंगापन, हिचकी आदि से राहत मिलती है। 59. त्रिशिखा मुद्रा
सामान्यतया शिखा चोटी को कहते हैं। सिर के ऊपर का भाग शिखा स्थान कहलाता है। शरीर विज्ञान के अनुसार इसे बृहन्मस्तिष्क कहा जाता है। योगशास्त्र के मतानुसार यह चैतन्य संस्थान का सबसे बड़ा केन्द्र है तथा इसे ज्ञानकेन्द्र के रूप में स्वीकारा गया है।
शिखा स्थान को शिखा ग्रन्थि, शिखर, शीर्ष बिन्दु भी कहते हैं। सम्यक ज्ञान का मुख्य स्रोत इसी स्थान पर है। सोलह संस्कारों में चूड़ाकरण नाम का
त्रिशिखा मुद्रा