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142... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा हुआ पूर्ण स्वरूप को पा लेता है उसी प्रकार इस मुद्रा के प्रयोग से साधक स्वयं में निहित शक्तियों को उजागर कर लेता है, अविकसित आत्मसत्ता को मूल स्वरूप में रूपान्तरित कर देता है। ___ सबीज सौभाग्य मुद्रा सूक्ष्म तत्त्व की शक्ति को पहचानने, स्वयं के विराटता की अनुभूति करने एवं आत्मा की अनन्त सम्पदाओं को प्रकट करने के उद्देश्य से की जाती है।
सबीज सौभाग्य मुद्रा विधि ___ 'अत्रैवांगुष्ठद्वयस्याधः कनिष्ठिकां तदाक्रान्ततृतीयपर्विकां न्यसेदिति सबीज सौभाग्य मुद्रा।" ___ यह मुद्रा सौभाग्य मुद्रा के समान ही बनायी जाती है। विशेष रचना है कि दोनों अंगूठों को नीचे की ओर करके कनिष्ठिका अंगुलियों का तृतीय पर्व जो आक्रान्त है उस स्थान पर द्वयांगुष्ठों को रखने से सबीज सौभाग्य मुद्रा बनती है।