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80... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा विशेष
• यौगिक चक्र के अनुसार इस मुद्रा से ब्रह्म चक्र और आज्ञा चक्र प्रभावित होते हैं। इससे अवसाद, उन्मत्तता, स्मृति सम्बन्धी समस्याएँ, मानसिक विकार, पागलपन, निराशा आदि दूर होती है।
• पीयूष एवं पिनियल ग्रंथियों पर इस मुद्रा का विशेष प्रभाव पड़ता है। इनके स्राव का संतुलन करते हुए यह शरीरस्थ शर्करा, रक्त चाप, तापमान आदि का नियंत्रण करती है। इससे नेतृत्व शक्ति, निर्णयात्मक शक्ति एवं नियंत्रण शक्ति का भी विकास होता है। 24. वरद मुद्रा __वरद शब्द आशीर्वाद सूचक है। संस्कृत कोश में 'वरद' शब्द का विश्लेषण करते हुए उसे वरदान प्रदान करने वाला, वर देने वाला, मंगल प्रदाता आदि कहा गया है।
वरद मुद्रा