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64... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 16. स्थापन मुद्रा
जिस प्रकार आवाहनी और आवाहन मुद्रा में भिन्नता है, स्थापनी और स्थापन मुद्रा के सम्बन्ध में भी वैसा ही अन्तर जानना चाहिए। स्पष्टीकरणार्थ कहा जा सकता है कि
• स्थापनी और स्थापन दोनों मुद्राएँ बिठाने एवं स्थिर करने के अर्थ में हैं। • स्थापनी मुद्रा स्त्रीलिंग वाची और स्थापन मुद्रा पुल्लिंग वाचक है। • स्थापनी मुद्रा देवियों के लिए और स्थापन मुद्रा देवताओं के लिए प्रयुक्त की जाती है। विधि
"तदेव तर्जनीमूलसंयुक्तांगुष्ठद्वयावाङ्मुखं स्थापन मुद्रा।"
आवाहन मुद्रा की भाँति दोनों हाथों को समान रूप से स्थिर करें। फिर तर्जनी अंगुली के मूल पर्व पर दोनों अंगूठों के अग्रभागों को संस्पर्शित करते हुए हथेलियों को अधोमुख कर देना स्थापन मुद्रा है।
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स्थापन मुद्रा