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342... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन सिंह मुद्रा, उद्वेष्टि ताल पद्म मुद्रा, रघुरामावतार मुद्रा, वामनावतार मुद्रा।
• मृत्युभय, स्वरमणता की कमी, अनुत्साह, आनंद की कमीकपित्थ हस्त मुद्रा, संदंश मुद्रा, अंजली मुद्रा, स्वस्तिक मुद्रा-1, निषेध मुद्रा2, अर्धसूची मुद्रा, सम्पूट मुद्रा, भैरूण्ड मुद्रा, भिन्नांजली मुद्रा, बृहस्पति मुद्रा, इन्द्र मुद्रा, खड्ग मुद्रा, कुबेर मुद्रा, शम्भु मुद्रा, शुक्र मुद्रा, सूर्य मुद्रा, त्रिज्ञान मुद्रा, वैश्य मुद्रा, ज्येष्ठ भ्रातृ मुद्रा, स्नुष् मुद्रा, परशुरामावतार मुद्रा।
समष्टि रूप में कहा जा सकता है कि देश-विदेश सभी जगह नृत्य कला किसी न किसी रूप में देखी जाती है। भरत नाट्यम् इनमें से एक प्राचीन शास्त्रीय नृत्य कला है। हर नृत्य कला में इसका पुट अवश्य रूप से परिलक्षित होता है। नृत्य से प्राय: हर आम आदमी थोड़ा बहुत जुड़ा हुआ होता है। इन्हीं सब तथ्यों एवं इसकी प्राचीनता को देखते हुए भरत नाट्य शास्त्र आदि प्राच्य ग्रन्थों में वर्णित मुद्राओं का स्वरूप वर्णन करने के साथ-साथ विविध प्रकार के रोग निदान, मानसिक एवं भावनात्मक ऊर्ध्वता में इनकी सहायवृत्ति का वर्णन किया गया है।
___ अत: यह अपेक्षा रखती हूँ कि हर रोग के निवारण में विशेष उपयोगी मुद्राओं की list को देखकर कोई भी व्यक्ति अपनी सुविधा अनुसार सहज साध्य मुद्रा से अपने आप ही अपने लोगों का इलाज कर सकेगा। यह कृति मुद्रा प्रयोग में हमारी रुचि एवं जागृति बढ़ाएं तथा भारतीय नृत्य परम्परा को विकसित करें, यही शुभाशंसा।