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________________ उपसंहार... ...341 आध्यात्मिक रोगों के निदान में प्रभावी मुद्राएँ • क्रोध, मान, माया, लोभ, वाचालता, भय, ईर्ष्या, प्रमाद- संदंश मुद्रा, रेचित मुद्रा, करिहस्त मुद्रा, पक्षवांछित मुद्रा, चक्र मुद्रा, गरूड़ मुद्रा, चंपक मुद्रा, कार्तवीर्य मुद्रा, खड्ग मुकुल मुद्रा, कूर्म मुद्रा, राहु मुद्रा, सरस्वती मुद्रा, शनैश्चर मुद्रा, भद्र भ्रातृ मुद्रा। • सप्त व्यसन, चंचलता, लालसा, कामुकता, अभिमान- अलपद्म मुद्रा, पुष्पपुट मुद्रा, वर्धमान मुद्रा, उद्वृत्त मुद्रा, ललित मुद्रा, चंद्रकला मुद्रा, अजमुख मुद्रा, अर्धमुख मुद्रा, चंद्रमृग मुद्रा, करतरी दण्ड मुद्रा, कटक मुद्रा-2, प्याली मुद्रा, संयम नायक मुद्रा, स्त्री मुद्रा, उलूक मुद्रा, दम्पत्ति मुद्रा, कल्कि अवतार मुद्रा, कूर्मावतार मुद्रा। • आत्मबल की कमी, एकाग्रता की कमी, शंकालु वृत्ति- शिखर मुद्रा, सूच्यास्य मुद्रा, लांगुल मुद्रा, चतुरस्र मुद्रा, अर्धरचित मुद्रा, नितम्ब मुद्रा, सिंहमुख मुद्रा, अधोमुष्टि मुकुल मुद्रा, ब्रह्म मुद्रा, करकट मुद्रा, केतु मुद्रा, क्षत्रिय मुद्रा, रावण मुद्रा, शुद्र मुद्रा, मातृ मुद्रा, श्वसुर मुद्रा, भर्तार मुद्रा, बलरामावतार मुद्रा, नरसिंहअवतार मुद्रा। • वाणी पर अनियंत्रण, असंवेदनशीलता, करूणाहीनता, हिंसक भावना- मृगशीर्ष मुद्रा, ऊर्णनाभ मुद्रा, ताम्रचूड़ मुद्रा, कपोत मुद्रा, तलमुख मुद्रा, मयूर हस्त मुद्रा, पाश मुद्रा, बक मुद्रा, गर्दभ मुद्रा, कटक मुद्रा-1, केतकी मुद्रा, लक्ष्मी मुद्रा, लीनाल पद्म मुद्रा, वायु मुद्रा, पार्वती मुद्रा, संकीर्ण मकर मुद्रा, शैव्य मुद्रा, शमी मुद्रा, सिन्धुवर मुद्रा, ननंद मुद्रा, सपत्नी मुद्रा, कृष्णावतार मुद्रा। • अध्यात्म विमुखता, आत्मानुशासन की कमी, मान कषायसर्पशीर्ष मुद्रा, खटका वर्धमान मुद्रा, उत्संग मुद्रा, पक्षप्रद्योत मुद्रा, गरूड़ पक्ष मुद्रा, मुष्टि स्वस्तिक मुद्रा, त्रिशूल मुद्रा, सम्पुट मुद्रा, अंगारख मुद्रा, अराल कटकमुख मुद्रा, भीम मुद्रा, कदंजली मुद्रा, लीन कर्कट मुद्रा, वरूण मुद्रा, परदिष मुकुल मुद्रा, संकीर्ण मुद्रा, ताल पताका मुद्रा, कनिष्ठ भ्रातृ मुद्रा, श्वश्री मुद्रा, मत्स्यावतार मुद्रा। • ज्ञान का अभिमान, मायाचारी, दोहरापन- मुष्टि मुद्रा, हंसपक्ष मुद्रा, कर्कट मुद्रा, अवहित मुद्रा, आविद्धवक्र मुद्रा, व्याघ्र मुद्रा, संयम नायक मुद्रा,
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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