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328... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन पक्षवंचितक हस्त मुद्रा
जब दोनों हाथ त्रिपताक मुद्रा में क्रमश: कटि और शीर्ष पर रखे हो तो पक्षवंचितक हस्त मुद्रा बनती है। मथुरा से प्राप्त एक मूर्ति (प्रथम शती) संगीतज्ञों के एक समूह में एक स्त्री के साथ पक्षवंचितक मुद्रा में है।67 ___अमरावती से प्राप्त एक शिल्प (दूसरी शती) में नर्तकी के हाथ इसी मुद्रा में है।68 ऊर्ध्वमण्डलिन् मुद्रा
गान्धार, एलोरा गुफा, खजुराहो आदि से प्राप्त शिल्पों में यह मुद्रा स्पष्टत: देखी गई है।69 नागबन्ध हस्त मुद्रा (छवि चित्र 17)
सर्पशीर्ष मुद्रा में रचित हाथों को एक-दूसरे के ऊपर स्वस्तिक की तरह रखने पर नागबन्ध मुद्रा बनती है। रत्नागिरी से प्राप्त एक शिल्प के हाथ इसी मुद्रा में है।70 __इस भाँति हम देखते हैं कि हस्त मुद्राएँ हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, इसीलिए भारत की तमाम कलाओं में इसका दिग्दर्शन सहज रूप से हो जाता है। ___उपरोक्त वर्णन से मुद्रा विज्ञान की प्राचीनता एवं मल्यवत्ता भी स्पष्टत: सिद्ध हो जाती है।
__कला को समझने एवं प्रदर्शित करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम शिल्पकला है। इस अध्याय में प्रागकाल से प्राप्त शिल्प रचनाओं के द्वारा मुद्राओं को
छवि चित्र-18 : नागबन्ध हस्त मुद्रा,
रत्नगिरी से प्राप्त शिल्प, ऐतिहासिकता तो सिद्ध हुई ही साथ ही
ई. नवीं शती