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शिल्पकला एवं मूर्तिकला में प्राप्त हस्त मुद्राएँ......327 अंजली हस्त मुद्रा (रेखा चित्र 12)
दोनों हाथों की हथेलियों को सटाकर छाती के समीप रखने पर अंजली मुद्रा बनती है। शुंगकालीन शिल्प में राजा अताजशत्रु के हाथ इसी मुद्रा में है।63 इस मुद्रा विषयक अन्य मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई है।64
अलपद्म/अलपल्लव हस्त मुद्रा (छवि चित्र 15, 16)
जब हाथ की अंगुलियाँ हथेली पर वृत्ताकार रूप में घुमी हुई और पार्श्व में बिखरी हुई हों तो अलपद्म या अलपल्लव हस्त मुद्रा बनती है। देवगढ़ मन्दिर (5वीं शती) के शिल्प में एक नर्तकी का दाहिना हाथ छाती के पास इसी मुद्रा में है।65 चोल - काल की कांस्य मूर्तियों में भी इसी मुद्रा का दर्शन होता है।66
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छवि चित्र-16 : अलपद्म हस्त मुद्रा, चोल कालीन धातु शिल्प,
बारहवीं ई. शती
छवि चित्र-17 : अलपन हस्त मुद्रा, चोल कालीन धातु शिल्प,
ई. बारहवीं शती