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308... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
फलक 2, चित्र 20, पृ.250
भरहुत से प्राप्त महाकपि जातक के अंकन में ब्रह्मदत्त राजा के हाथ की भी मुद्रा यही है। अंजली मुद्रा
देखें, फलक 2, चित्र 19, पृ.252
अंजली मुद्रा को वंदनी या नमस्कार मुद्रा भी कहा जाता है। भरहुत से प्राप्त कुपिरो यक्ष के हाथ अंजली या नमस्कार मुद्रा में है। ध्यान मुद्रा
देखें, फलक 2, चित्र 16, पृ.253
उज्जैन के एक सिक्के पर पद्मासन में बैठे हुए देवता के हाथों को ध्यान मुद्रा कहा गया है। यह सिक्का दूसरी-तीसरी शती ईसा पूर्व का है। व्याख्यान मुद्रा
देखें, फलक 3, चित्र 2, पृ.254 ___बनर्जी ने गुप्तकाल की मूर्तियों में व्याख्यान मुद्रा को पहचाना है। बनर्जी के अनुसार भरहुत से प्राप्त एक यक्ष की मूर्ति में भी हाथ की वही मुद्रा है। (देखें, फलक 3, चित्र 1, पृ. 254)
एक अन्य मूर्ति में छाती तक उठे हुए दाहिने हाथ की हथेली सामने की ओर तथा अंगूठा एवं तर्जनी के अग्रभाग सटे हुए हैं इसे भी व्याख्यान मुद्रा के रूप में पहचाना गया है।
(देखें, फलक 3, चित्र 3, पृ. 255) धर्मचक्र मुद्रा
देखें, फलक 3, चित्र 4, पृ. 256
गुप्तकालीन बुद्ध की मूर्तियों में दोनों हाथों द्वारा प्रदर्शित मुद्रा व्याख्यान मुद्रा या धर्मचक्र मुद्रा है। कट्यवलम्बित मुद्रा
देखें, फलक 1, चित्र 19, पृ.257