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270... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन पाचन तंत्र, रक्त संचरण तंत्र, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 78. स्त्री मुद्रा
यह मुद्रा नाटक आदि में एक हाथ से की जाती है। इस मुद्रा में बायें हाथ को कुक्षि के निकटवर्ती क्षेत्र में रखा जाता है अत: यह मुद्रा कुक्षि की सूचक है। विधि
बायीं हथेली को उदर के नीचले हिस्से पर रखते हुए तथा अंगुलियों और अंगूठे को मध्यभाग की तरफ प्रसारित करने पर स्त्री मुद्रा बनती है।64
स्त्री मुद्रा लाभ
चक्र- मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं जल तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, मल-मूत्र अंग एवं प्रजनन अंग।