________________
114... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को मध्यभाग में एक-दूसरे के सम्मुख करते हुए ऊपर की तरफ सीधी रखें, अंगुलियों और अंगूठों को आकाश की दिशा में उठायें तथा हाथ को ढीला छोड़ते हुए हथेलियों को किंचित झुकाने पर तलमुख मुद्रा बनती है।99
तलमुख मुद्रा-1
लाभ __चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व प्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- तैजस, आनंद केन्द्र। द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार चतुरस्र मुद्रा में स्थित हाथों को हंसपक्ष मुद्रा में रचित कर तिरछे सामने की ओर रखने से तलमुख मुद्रा बनती है।100