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48... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 8. शिखर मुद्रा
शिखर शब्द से अनेक अर्थों का बोध होता है। सबसे ऊपर का भाग, चोटी, पर्वत श्रृंग, मंदिर का कलश आदि को शिखर नाम से भी कहा जाता है।23
इस मुद्रा में अंगूठे को ऊपर की ओर करके उसे शिखर की प्रतिकृति के रूप में दर्शाया जाता है अत: इसे शिखर मुद्रा कहते हैं।
सामान्य व्यवहार में यह मुद्रा किसी को ठगने, अंगूठा दिखाने एवं परीक्षा काल में शुभकामनाएँ देने के लिए प्रयोग की जाती है।
यह नाट्य मुद्रा हिन्दु और बौद्ध परम्परा में देवताओं के द्वारा अथवा उनके लिए धारण की जाती है। यह एक हाथ से की जाने वाली मुद्रा शांत चित्तता और स्थिरता की सूचक है। प्रथम विधि
बायीं हथेली को शरीर के मध्य भाग की ओर लायें, तदनन्तर अंगुलियों को मुट्ठी रूप में बांधकर, अंगूठे को ऊपर की ओर सीधा रखने से शिखर मुद्रा बनती है।24
शिखर मुद्रा-1