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72...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में
4. द मिरर ऑफ गेश्चर, पृ. 44-45 5. द मिरर ऑफ गेश्चर, पृ. 46 6. निर्वाणकलिका, पृ. 66-72 7. मुद्राविचारप्रकरण, पृ. 21-24 8. सुबोधासमाचारी, पृ. 1 9. तिलकाचार्यसामाचारी, 1-2 10. विधिमार्गप्रपा, पृ. 114-116 11. परमेष्ठिमयी मुद्रा, मौद्गरी वज्रमुद्रिका
तथा गरूड़ मुद्रा च, जिनमुद्रा तथैव च । ततो मुक्ता शुक्ति मुद्रा ऽञ्जलिमुद्रा च सौरभी पद्ममुद्रा चक्र मुद्रा, मुद्रा । सौभाग्यनामका ।। यथाजाता ऽऽरात्रिकी च, वीरमुद्रा विनीतिका । प्रार्थना पशुमुद्रा च, छत्र मुद्रा प्रियंकरी ॥ तथा गणधरी मुद्रा, योगमुद्रा तथैव च। तत: कच्छप मुद्रा च, धनुःसंधान मुद्रिका । योनि मुद्रा दण्ड मुद्रा, सिंह मुद्रा च शक्तिजा । शंख पाश खङ्ग कुन्त, वृक्ष शाल्मलि मुद्रिका । दीप कन्दुक मुद्राश्च, मुद्रा नागफणाभिधा। माला पताका घण्टा च,प्रायश्चित्त विशोधिनी । ज्ञानकल्पलता नाम, मोक्षकल्पलता तथा ।
____ आचारदिनकर, भाग 2, पृ. 385 12. जैन धर्म और तान्त्रिक साधना- उद्धृत पृ. 330-333 13. मुद्रा विधि, पृ. 26-35 14. कल्याणकलिका, पृ. 608-619 15. प्रेक्षाध्यान : यौगिक क्रियाएँ, मुनि किशनलाल, पृ. 57-68 16. महामुद्रा नभो मुद्रा उड्डीयानं जलन्धरम्।
मूलबन्धं महाबन्धं, महावेधश्च खेचरी। विपरीतकरणी योनि, वज्रोली शक्तिचालिनी। तडागी माण्डवी मुद्रा, शाम्भवी पंचधारणा।। अश्विनी पाशिनी काकी, मातंगी भुजंगिनी। पञ्चविंशति मुद्रावै, सिद्धिदाश्चेह योगिनाम्।।
घेरण्डसंहिता, 3/1-3