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जैन एवं इतर परम्परा में उपलब्ध मुद्राओं की सूची ...69 कई भाषाओं में हैं। जैसे सप्तरत्न, अष्ट मंगल, म-म-मडोस् आदि मुद्राओं के नाम संस्कृत में हैं। भारतीय बौद्ध मुद्राओं के नाम हिन्दी में हैं तथा जापानी बौद्ध मुद्राएँ अपने देश की भाषा में हैं।
सप्तरत्न आदि मुद्राओं का प्रयोग किन प्रसंगों में किया जाना चाहिए। इसके स्पष्ट उल्लेख तो नहीं मिले हैं किन्तु गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल से सम्बन्धित कई मुद्राओं का प्रयोग देवपूजन-देवार्चन आदि धर्म क्रियाकाण्डों में होता है ऐसा सुस्पष्ट है। भगवान बुद्ध की 40 मुद्राएँ तो उन्हीं की जीवनचर्या से जुड़ी हुई हैं जिसे साधना या उपासना के रूप में प्रयुक्त करें तो अध्यात्म के अन्तिम चरण का स्पर्श किया जा सकता है। ___जापानी, चीनी एवं तिब्बती वज्रायन-मंत्रायन सम्बन्धी कुछ मुद्राएँ तान्त्रिक साधना से जुड़ी हुई हैं तो कुछ यौगिक ध्यान साधना से सम्बन्धित भी हैं। कई मुद्राएँ देवी-देवताओं या भगवान के लिए अथवा उनके अभिसूचन में धारण की जाती है। कुछ ऐसी मुद्राएँ भी हैं जो किसी एक देवी-देवता से ही सम्बन्धित है जैसे- धर्मचक्र मुद्रा या वज्र हुंकार मुद्रा। इसी तरह कई मुद्राएं स्वरूपतः मिलती-जुलती होने पर भी अन्य नामों से प्राप्त होती है जैसे कि पताका मुद्रा एवं अभय मुद्रा, नाट्य सम्बन्धी सूची मुद्रा एवं तर्जनी मुद्रा आदि। कई मुद्राओं के नाम समान हैं किन्तु प्रयोगतः भिन्न हैं तथा नाम साम्य वाली मुद्राएँ भिन्न-भिन्न प्रसंगों में भी प्रयुक्त की जाती हैं।
इस तरह सभी मुद्राओं का अपना विशिष्ट ध्येय एवं प्रयोजन हैं।
उपरोक्त सभी मुद्राओं की विधियाँ तत्सम्बन्धी ग्रन्थों में प्राय: समान हैं लेकिन पृथक्-पृथक् देशों में प्रचलित उन मुद्रा नामों में अवश्य भिन्नता है। __ प्रस्तुत शोध कृति में जिन मुद्राओं पर विचार किया गया है उपरोक्त सूची में उन्हीं का नाम दिया है इससे स्पष्ट है कि अतिरिक्त और भी मुद्राएँ हैं।
बौद्ध धर्म की महायान शाखा का एक ग्रन्थ आर्यमंजु श्रीकल्प में 108 मुद्राएँ विधिसहित कही गई हैं। जिसका मूलपाठ यहाँ भी प्रस्तुत किया गया है। बौद्ध मुद्राओं में कुछ नाम ऐसे भी हैं जो जैन एवं हिन्दू परम्परा की मुद्राओं में प्राप्त होते हैं जैसे- अंकुश मुद्रा, पाश मुद्रा, मुद्गर मुद्रा, खड्ग मुद्रा, गदा मुद्रा आदि।