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62...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में 20. होम की आठ मुद्राएँ 21. शान्ति रक्षण की तेरह मुद्राएँ 22. बलिदान की चार मुद्राएँ 23. गायत्री साधना की बत्तीस मुद्राएँ 24. योग साधना की पन्द्रह मुद्राएँ 25. भोजन की पाँच मुद्राएँ। 18. सन्ध्याकालीन उपासना एवं गायत्री साधना में उपयोगी मुद्राएँ
___ 1. सुमुखी मुद्रा 2. सम्पुटी मुद्रा 3. वितत मुद्रा 4. विस्तृत मुद्रा 5. द्विमुखी मुद्रा 6. त्रिमुखी मुद्रा 7. चतुर्मुखी मुद्रा 8. पंचमुखी मुद्रा 9. षण्मुखी मुद्रा 10. अधोमुखी मुद्रा 11. व्यापकांजलिक मुद्रा 12. शकट मुद्रा 13. यमपाश मुद्रा 14. ग्रथित मुद्रा 15. सम्मुखोन्मुखी मुद्रा 16. प्रलम्ब मुद्रा 17. मुष्टिक मुद्रा 18. मत्स्य मुद्रा 19. कूर्म मुद्रा 20. वराहक मुद्रा 21. सिंहक्रान्त मुद्रा 22. महाक्रान्त मुद्रा 23. मुद्गर मुद्रा 24. पल्लव मुद्रा।51
उपरोक्त 24 मुद्राएँ गायत्री जाप से पूर्व की जाती है।
1. सुरभि मुद्रा 2. ज्ञान मुद्रा 3. वैराग्य मुद्रा 4. योनि मुद्रा 5. शंख मुद्रा 6. पंकज मुद्रा 7. लिंग मुद्रा 8. निर्वाण मुद्रा।
उक्त 8 मुद्राएँ गायत्री जाप के पश्चात की जाती है। तुलना
हिन्दू साहित्य में सामान्य तौर पर हजारों मुद्राएँ उपलब्ध होती हैं जिनमें उपनिषद्, पुराण, संहिता आदि में वर्णित मुद्राएँ विशिष्ट कोटि की मानी गई है। यहाँ मुख्य रूप से योगसाधना में उपयोगी एवं वर्तमान परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की सूची प्रस्तुत की गई है। ___ यदि तुलना की अपेक्षा विचार किया जाए तो उपनिषद् ग्रन्थों एवं संहिताओं में जिन मुद्राओं के उल्लेख हैं। वे पुराण आदि ग्रन्थों में नहींवत है। घेरण्ड आदि संहिताओं एवं उपनिषदों में मुख्यतया योग साधना सम्बन्धी कठिन मुद्राओं का वर्णन किया गया है जिनका प्रयोग दुःसाध्य है तथा उन ग्रन्थों को इस सम्बन्ध में प्राचीन भी माना जाता है। ___तान्त्रिक एवं पौराणिक ग्रन्थों में वर्णित मुद्राएँ मुख्यतया पूजा-देवदर्शनजाप आदि से सम्बन्धित हैं तथा कुछ मुद्राएँ आत्म साधना उपयोगी भी हैं। इनमें कुछ मुद्राएँ ऐसी भी हैं जिनका उल्लेख किसी ग्रन्थ विशेष में ही मिलता है तो कुछ अन्य ग्रन्थों में भी उपलब्ध होती हैं।
प्रस्तुत सूची से ज्ञात होता है कि परवर्ती लेखकों ने भी आत्मशुद्धि मूलक