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सम्यक्त्वी देवी-देवताओं का शास्त्रीय स्वरूप ...641 नागदेव : पाताल लोक के स्वामी
वर्ण : कृष्ण वाहन : कमल हाथ में : सर्प
ब्रह्मदेव : ऊर्ध्व लोक के स्वामी
वर्ण : श्वेत वस्त्र : चार वाहन : हंस हाथ में : कमंडलु
नवग्रह देवों का ऐतिहासिक विश्लेषण सूर्य, चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु- ये सात ग्रह माने जाते हैं। जैन धर्म में इन्हें ज्योतिष देवता के रूप में स्वीकार किया गया है। ये देवता
वैयक्तिक जीवन के शुभाशुभ कर्मोदय के समय बाधाओं का परिहार एवं पुण्य वर्धन में निमित्तभूत बनते हैं इसलिए भिन्न-भिन्न प्रकार के पाप कर्म की उपशान्ति के लिए पंच परमेष्ठी एवं चौबीस तीर्थंकरों आदि का जाप किया जाता है। पूर्वाचार्यों ने अपने विशिष्ट श्रुतबल के आधार पर नवग्रह जाप की व्यवस्था प्रदान की है। इसलिए साधकों को मनोयोग पूर्वक इसे स्वीकार करना चाहिए।
जैन साधना में यक्ष-यक्षिणियों, विद्यादेवियों, दिक्पालों आदि की उपासना के साथ-साथ नवग्रह की उपासना भी प्रचलित रही है।