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638... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन अवधारणा भी प्रारम्भ हुई। दिक्पाल पूजन की यह अवधारणा जैन परम्परा में 10वीं शती के पश्चात ही अस्तित्व में आई है।
निर्वाणकलिका (पृ. 81-82) के अनुसार दश-दिक्पालों का सचित्र स्वरूप निम्न प्रकार हैं
इन्द्र देव : पूर्व दिशा का स्वामी
वर्ण : तप्त सुवर्ण सदृश वस्त्र : पीले वाहन : ऐरावत हाथी हाथ में : वज्र धारण
अग्नि देव : आग्नेय दिशा का स्वामी
वर्ण : कपिला (अग्नि जैसा) वस्त्र : नीले वाहन : बकरा हाथ में : शक्ति