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________________ 582... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन तत्त्वचर्चा आदि से विमुख होता जा रहा है और सम्यक जानकारी के अभाव में मात्र स्नात्रकार एवं विधिकारकों का अनुकरण किया जा रहा है। इन परिस्थितियों में विधिकारकों का सुज्ञ, सत्यान्वेषी, विद्वान एवं अनुभवी होना अत्यावश्यक है। धार्मिक क्रिया-कलापों को सम्यक स्वरूप देने के लिए कुछ ऐसे ही तथ्य हैं जिन विषयों पर चिन्तन करना नितांत जरूरी है। • विधिकारकों का एक के बाद एक कार्यक्रम में व्यस्त रहना कहाँ तक उचित है? ____ कई सुप्रसिद्ध विधिकारकों के पास एक के बाद एक कार्यक्रम पहले से तय होते हैं। इसके कारण उनके मन में हमेशा एक हलचल बनी रहती है। उनके लिए किसी भी क्रिया को पूर्णमानसिक स्थिरता के साथ करवा पाना मुश्किल है। जब क्रियाकारक ही एकाग्र एवं चित्त स्थैर्य के साथ वहाँ उपस्थित न हो तो वह अन्य लोगों की भावधारा को जोड़ने में कैसे हेतुभूत बन सकता है? आज प्रत्येक संघ अपने नगर में प्रसिद्ध विधिकारकों को बुलाना चाहता है एवं वर्तमान में उपलब्ध त्वरितगामी संसाधनों के माध्यम से व्यक्ति कुछ ही घंटों में मनचाहे स्थानों पर पहुँच भी सकता है अत: शासन प्रभावना हेतु विधिकारक क्या करें यह एक जटिल प्रश्न है? उचित यह है कि विधिकारक अपने साथ रहने वाले सहयोगी विधिकारकों को उस योग्य बनाएँ और उन्हें भी अन्यत्र भेजें। आज यह प्रचलन देखा भी जाता है। व्यवस्था आदि का कार्यभार यदि उन लोगों को सौंप दिया जाए तो मुख्य विधिकारक निश्चित रह सकते हैं तथा पूर्ण मनोयोगपूर्वक एक सफल अनुष्ठान करवा सकते हैं। वरना शासन प्रभावना के उद्देश्य से बढ़ती कार्यक्रमों की गति शीघ्र ही व्यवसाय का रूप ले सकती है। विधिकारक जो करवाए, जितना करवाए वह सम्यक रूप से करवाए तो समाज के लिए वे क्रियाएँ अधिक सार्थक एवं उपयोगी बन सकेगी। • विधिकारकों का उच्चारण कैसा हो? विधि-विधान का मुख्य पक्ष होता है मंत्रोच्चार। किसी भी मंत्र की पूर्ण सिद्धि हेतु चार मुख्य घटक बताए गए हैं- शब्द, अर्थ, उच्चारण एवं भावना। इन चारों के सही होने पर मंत्र फलदायी बनता है। इसमें से किसी एक पक्ष का न्यून या गौण होना मंत्र फल को विपरीत भी कर सकता है। अतः विधिकारकों
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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