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________________ प्रतिष्ठा सम्बन्धी विधि-विधानों का ऐतिहासिक... ...571 का पूजन हो सकता है, ऐसी अवधारणाएँ स्थापित हो गई हैं। इसी तरह अष्टमंगल का पट्ट, जिसका प्रारम्भ में अक्षतों द्वारा आलेखन करने के उद्देश्य से उपयोग किया जाता था उसके ऊपर आजकल अक्षतों के उपरान्त फल, फूल, पैसा और वस्त्र चढ़ाते हैं। पूर्वोक्त सभी कार्य विधिकारक इस ढंग से करवाते हैं, जिससे यह अनुभव किया जाता है कि इन सभी कृत्यों को किये बिना विधि अपूर्ण है। इस प्रकार कालक्रम के अनुसार विधि-विधानों में मिठाइयों की अभिवृद्धि होते-होते आधुनिक पूजा अनुष्ठानों में मैसूर पाक, मोहनथाल, मोतीचूर लड्डू, घेवर, इमरती, बरफी, पेड़ा, गुंजापेठा, खाजा, ठोर आदि अनेक प्रकार के मिष्ठान्न अनिवार्य हो गये हैं। इसी भाँति दशदिक्पाल आदि तीन पट्टों का पूजन करना भी आवश्यक हो गया है। ____ अंजन- आचार्य पादलिप्तसूरि एवं उनसे परवर्ती कुछ प्रतिष्ठाकल्पकारों ने अंजन के रूप में केवल ‘मधुघृत' के उपयोग का ही सूचन किया है जबकि 12 वीं शती से परवर्ती आचार्यों ने नेत्रोन्मीलन के लिए अनेक पदार्थों को आवश्यक माना है उनमें किसी आचार्य ने काला सूरमा, शक्कर और घी, किसी ने लाल सूरमा, शक्कर और घी, तो किसी ने सूरमा, शक्कर, बरास, कस्तूरी, मोती, प्रवाल, स्वर्ण और चांदी आदि सामग्री को बढ़ाकर नेत्रांजन तैयार करने का विधान किया है। इस प्रकार उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि प्रतिष्ठा विधि-विधानों में कालक्रम के अनुसार कई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। ___ यहाँ मुख्य मुद्दों को ही स्पष्ट किया है। इसके सिवाय साधारण परिवर्तन इतने अधिक हुए हैं जिनकी गणना करना भी कठिन है। प्राचीन प्रतिष्ठा विधियों में क्या नहीं था और परवर्ती काल में किन सामग्रियों का समावेश हुआ। इसकी जानकारी प्राप्त करने हेतु कुछ उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। अब पूर्वकाल में क्या था और आधुनिक विधियों में क्या नहीं है इस सम्बन्ध में सामान्य निरूपण करेंगे। __ जैसे प्राचीन अनुष्ठानों में अनेक वस्तुएँ नये रूप में प्रविष्ट हुईं वैसे ही कुछ आचार नियम प्राचीन विधियों में उपलब्ध थे किन्तु नवीन प्रतिष्ठा विधियों में अदृश्य हो गये हैं तद्विवषयक कुछ उदाहरण निम्न प्रकार है
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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