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________________ प्रतिष्ठा विधानों के अभिप्राय एवं रहस्य ...543 यह ध्वनि व्यक्ति के शरीर, मन, बुद्धि और विचारों को बहुत हद तक प्रभावित करती है। आज वैज्ञानिक अनुसन्धानों से सिद्ध हो चुका है कि घण्टानाद तथा शंख ध्वनि से महाभयंकर संक्रामक रोगों के कीटाणु बिल्कुल नष्ट हो जाते हैं। सन् 1916 में लन्दन के कई वैज्ञानिकों ने सात माह तक घण्टा ध्वनि पर अनुसन्धान करके बताया है कि टी.बी. के मरीज को स्वस्थ करने हेतु घण्टा ध्वनि एक सरल औषधि है। पिछले कुछ वर्षों से रूस के बड़े हास्पीटल मास्को सेनीटोरियम में घण्टा ध्वनि सुनाकर टी.बी. के रोगियों को ठीक किया जा रहा है। अफ्रीका की आदिवासी जनता केवल घण्टा बजाकर सर्प विष से ग्रसित व्यक्तियों को 95 प्रतिशत ठीक कर लेती हैं। घंटा की ध्वनि को निरन्तर सुनने से कान का बहना और बहरापन आदि कितने ही रोग बिल्कल ठीक होने में सहायता मिलती है। ईसा के समकालीन एलाक्षा नामक सन्त ने घण्टानाद के द्वारा कई बहरे व्यक्तियों को ठीक किया था। इस विश्व में घण्टनाद का इतिहास बड़ा ही रहस्यपूर्ण है। रूस की राजधानी मास्कों में दुनिया के छह विशालकाय घण्टे इस समय भी देखे जा सकते हैं। उनमें एक घण्टा का वजन 6500 मन है। चीन की राजधानी पेइचिंग के बौद्ध विहार में 4300 मण का घण्टा विद्यमान है और विश्व का सबसे बड़ा घण्टा बर्मा के बौद्ध मन्दिर में विद्यमान है। ___ भारत के ऋषियों ने इस प्रयोग के सुपरिणामों को बहुत पहले ही जान लिया था।23 शंख ध्वनि से वातावरण कैसे प्रभावित होता है? शंखनाद का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। सांसारिक हो या धार्मिक, सभी शुभ प्रसंगों पर शंख की ध्वनि आज भी सुनायी जाती है। शंखनाद हमारे तन-मन को अत्यधिक प्रभावित करता है। इस ध्वनि के अज्ञात रहस्यों पर कई शोध हो चुके हैं और वर्तमान में भी अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं। सन् 1928 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन के छह वैज्ञानिकों ने शंख ध्वनि पर किए गए अनुसन्धान के पश्चात बताया है कि इस ध्वनि के प्रसरित होने से बैक्टीरिया नामक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह ध्वनि मिरगी,
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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