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________________ 498... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन शिलान्यास की सामान्य विधि- कल्याणकलिका के अनुसार शिला स्थापना हेतु बनाए गए खड्डों में मिट्टी के छोटे कलशों को, कुलड़ी, सातधान्य एवं पंचरत्न सहित रखें और उन्हें मिट्टी के ढक्कन से ढक दें। उसके ऊपर शिला संपुट रखें। तत्पश्चात शिला का अभिषेक आदि करके उन्हें शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। मध्यशिला पर स्वर्ण कूर्म रखा जाता है और कूर्म शिलाओं की प्रतिष्ठा की जाती है। मध्यशिला या कूर्म शिला के ऊपर एक लोह जाली स्थापित करते हैं जो मूलनायक भगवान के सिंहासन तक लम्बी होती है। शिलान्यास किनके द्वारा किया जाए?- शिलान्यास करते समय गृहपति, शिल्पी, विधिकारक, स्नात्रकार एवं समस्त श्रीसंघ को उपस्थित रहना चाहिए। शिला स्थापना के समय क्या भावना करें?- शिला स्थापना करते समय स्थापनाकर्ता चिन्तन करें कि आज जिनालय की मूल नींव स्थापित की जा रही है उसी तरह मेरे हृदय मन्दिर में धर्म का बीज मूल नींव के रूप में स्थापित हो। ___ मैंने अब तक पापकार्य के जनक घर, ऑफिस आदि कई स्थानों की नींव रखी है किन्तु धर्म रूपी नींव को स्थापित करने का अवसर प्रथम बार प्राप्त हुआ है। 'धर्म महान है' अत: यह कार्य सभी के लिए निश्चित रूप से कल्याणकारी होगा। मेरे द्वारा अखंड शिलाओं का स्थापना की जा रही है इससे हम सभी के जीवन में अक्षुण्ण सुख की प्राप्ति हो।' शिलान्यास का क्रम- शिलाओं का न्यास किस दिशा क्रम से करना चाहिए, इस सम्बन्ध में मतभेद हैं। चार शिलाओं की स्थापना करने के पक्षधर प्रायः आग्नेय कोण से प्रारम्भ कर ईशान कोण में समाप्त करने का सूचन करते हैं, पंचशिला के पक्षधर आग्नेय कोण से प्रारम्भ कर अंतिम शिला को मध्य में स्थापित करने का विधान करते हैं, किन्तु अग्निपुराण में शिलान्यास का क्रम मध्य से आरम्भ कर ईशान में पूर्ण करने के लिए कहा गया है। दाक्षिणात्य पद्धति में पाँच शिलाओं की स्थापना का क्रम- पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर और मध्य इस प्रकार बतलाया गया है। नवशिलाएँ रखने के पक्षधर- आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, ईशान, पूर्व और मध्य- इन दिशाओं के क्रम से नन्दादि शिलाएँ स्थापित करने का विधान करते हैं। दाक्षिणात्य पद्धति में नवशिलाओं की स्थापना पूर्व
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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