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प्रतिष्ठा सम्बन्धी मुख्य विधियों का बहुपक्षीय अध्ययन ...497 शिलाओं की स्थापना करते हैं।18 __मध्य शिला कूर्म शिला कही जाती है। क्षीरार्णव के अनुसार कूर्मशिला के नौ भाग करके प्रत्येक भाग के ऊपर पूर्व-दक्षिण आदि दिशाओं के सृष्टिक्रम से पानी की लहर, मछली, मेंढ़क, मगर, ग्रास, कलश, सर्प और शंख- इन आठ चिह्नों को बनाएं और मध्य भाग में कच्छप बनाएं।
फिर कूर्मशिला की स्थापना करने के पश्चात उसके ऊपर से पोलापन लिए हुए एक तांबा का नल जिनबिम्ब के सिंहासन पर्यन्त रखा जाता है, जिसे जिनालय की नाभि कहते हैं।
तदनन्तर नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता, अजिता, अपराजिता, शुक्ला, सौभागिनी और धरणी- इन नौ खुरशिलाओं को पूर्वादि दिशाओं के सृष्टिक्रम से स्थापित करें। नौवीं धरणी शिला मध्य में अवस्थित कूर्म शिला के सामने स्थापित करें। कुछ आधुनिक शिल्पकार धरणी शिला को ही कूर्मशिला कहते हैं। नन्दा आदि आठ खुरशिलाओं के ऊपर अनुक्रम से वज्र, शक्ति, दंड, तलवार, नागपाश, ध्वजा, गदा और त्रिशूल ऐसे दिक्पालों के शस्त्र के चिह्न अंकित करें तथा नौवीं धरणी शिला पर विष्णु का चक्र बनाएं। स्पष्टीकरण के लिए देखिएँ निम्न चित्र।
त्रिशूल
शक्ति
लहर
मत्स्या
D
गदा
नागपाश
+
तलवार