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________________ प्रतिष्ठा सम्बन्धी मुख्य विधियों का बहुपक्षीय अध्ययन ...489 कुंभ स्थापना करते समय क्या भावना करें?- कुंभ स्थापना मंगल का सूचक है। यह विधि करते समय जगत कल्याण की भावना की जाती है। इसी के साथ जिस प्रकार कुंभ जल के लिए आधारभूत है उसी प्रकार मैं भी दीनदुखी जीवों के लिए सहायक बनूं, मेरी आत्मा ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूपी रत्नत्रयी से परिपूर्ण बने, कुंभ स्थित जल की भाँति मेरा मन भी धर्म में स्थिर हो, इस प्रकार की उच्च भावनाएँ करनी चाहिए। कुंभ स्थापना सम्बन्धी जन धारणा- लोक व्यवहार में कुंभ स्थापना एक बहु प्रचलित प्रथा है। मंगलकारी प्रसंगों जैसे गृह प्रवेश, दुकान आदि का उद्घाटन, महापूजन आदि कुंभ स्थापना पूर्वक ही किये जाते हैं अत: इसे मांगलिक विधान माना गया है। - कुंभ स्थापना करने से अशुभ का निवारण और शुभ भावों की स्थिरता रहती है। इससे संघ में शान्ति की स्थापना भी होती है। ___कुंभ स्थापना की उपादेयता- कुंभ स्थापना एक शुभसूचक एवं लोकप्रसिद्ध मंगल विधान है। इसके द्वारा जन मानस में शान्ति, तनाव, मुक्ति एवं आनंद के भाव प्रस्थापित होते हैं। यह मांगलिक कार्यों के प्रारंभ का भी सूचक है। इस विधान के द्वारा सम्यक्त्वी देवी-देवताओं की स्थापना हो जाती है, जो कार्यों की निर्विघ्नता एवं पूर्णता में सहायक बनते हैं। शुभ भावों की उत्पत्ति में भी इसका महत्त्वपूर्ण योगदान है। दीपक स्थापना विधि का वैज्ञानिक स्वरूप एक निर्धारित स्थान पर अखण्ड दीपक स्थापित करना दीपक स्थापना कहलाता है। इस अनुष्ठान में घी से भरे हुए बड़े पात्र में रूई की बत्ती को प्रज्वलित करते हैं और यह क्रिया मन्त्रोच्चार के साथ सम्पन्न की जाती है। दीपक स्थापना की आवश्यकता क्यों?- दीपक अंधकार का नाश कर प्रकाश फैलाता है। प्रकाश सभी को प्रिय होता है। दीपक स्थापना के द्वारा द्रव्यतः बाह्य अंधकार एवं भावत: आत्मा पर आवृत्त अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करने के भाव किए जाते हैं। जिस प्रकार दीपक की लौ ऊर्ध्वगामी होती है उसी प्रकार अज्ञानावरण से मुक्त होकर सर्व आत्माएँ ऊर्ध्वगामी बनें। जैसे दीपक बिना किसी भेदभाव एवं स्वार्थवृत्ति के अन्यों को प्रकाश देता है और बाह्यतः स्वयं भी प्रकाशित रहता है
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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