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________________ 454... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन न्यास विधि की जाती है । फिर उस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा और सूरिमन्त्र के संस्कार द्वारा उसे पूज्य बनाया जाता है। अभिषेक के माध्यम से जो जल प्रतिमा पर गिरता है उसमें बीजाक्षर मंत्रों एवं अभिषेक के समय उच्चारित मंत्रों की शक्ति का प्रभाव आ जाता है जिससे वह वन्दनीय एवं प्रभावशाली हो जाता है। उस वायुमण्डल में व्याप्त शुद्ध परमाणुओं एवं शुभ भावों की पौद्गलिक शक्ति भी उसमें सन्निहित हो जाती है जो दर्शक के लौकिक और लोकोत्तर दोनों जीवन के लिए परम कल्याणकारी है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी सिद्ध हो चुका है कि मंत्रों के उच्चारण से निःसृत ध्वनि तरंगों की शक्ति से जल की गुणवत्ता बढ़ जाती है और उसमें विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसका अद्भुत प्रभाव होता है। प्रक्षाल लगाने से पूर्व स्वच्छ जल से हाथ धोयें। फिर श्रद्धापूर्वक उसे मस्तक पर धारण करके पुनः हाथ धोने चाहिए। अशुद्ध रुमाल आदि से प्रक्षाल के हाथ नहीं पोंछने चाहिए । कुछ लोग शारीरिक स्वस्थता हेतु गंधोदक को नाभि के आस-पास भी लगाते हैं तो कुछ जन नये मकान, आफिस, दुकान आदि की दीवारों पर भी इसका छिड़काव करते हैं। आन्तरिक श्रद्धा के आधार पर उन्हें अपने भावानुरूप लाभ भी प्राप्त होता है। अभिषेक क्रिया के लाभ तीर्थंकर परमात्मा के प्रतिबिम्ब का स्पर्श करने मात्र से सर्व अभीष्ट पूर्ण हो जाते हैं। पुरन्दर आचार्यों ने प्रभु स्तुति करते हुए कहा भी है दर्शनात् दुरितध्वंसी, वन्दनात् वांछित प्रदः । पूजनात् पूरक: श्रीणां, जिन साक्षात् कल्पद्रुमः । । जिनेश्वर प्रभु साक्षात कल्पवृक्ष के समान हैं। अभिषेक करते हुए परमात्मा के आभ्यन्तर व्यक्तित्व से हमारे अध्यवसाय इतने विशुद्ध हो जाते हैं कि अशुभ कर्मों के निर्जरण के साथ-साथ अनन्त कर्मों का क्षय भी क्षणांश में हो जाता है। यही क्षण भक्त के जीवन को सार्थकता प्रदान कर उसके उत्तम भविष्य का निर्माण करते हैं। आचार्य रविषेण इसकी श्रेष्ठता दर्शाते हुए कहते हैं कि अभिषेक जिनेन्द्राणां विधाय विमाने क्षीर धवले, जायते क्षीरधारया | परमद्युतिः ।।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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