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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...435
जलादि अभिमन्त्रण विधि अठारह अभिषेक, महापूजन, कुंभस्थापना, स्नात्र पूजा आदि अनुष्ठानों में अभिमंत्रित जल का उपयोग करना चाहिए तथा अनुष्ठान कर्ता स्नात्रकार को भी मुख आदि की शुद्धि मंत्र से करनी चाहिए। उन मंत्रों की सूची इस प्रकार हैस्नान जल अभिमंत्रण मंत्र- निम्न सभी मंत्रों को सात-सात बार बोलें
ॐ हीं अमृते अमृतोद्भवे अमृत वर्षिणि अमृतं स्रावय-स्रावय
स्वाहा। दाँत अभिमन्त्रण मंत्र- ॐ हीं यक्षसेनाधिपतये नमः।
मुख प्रक्षालन मन्त्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कामदेवाधिपते ममऽ भीप्सितं पूरय पूरय स्वाहा।
स्नान मन्त्र- ॐ हीं अमले विमले विमलोद्भवे सर्वतीर्थजलोपमे पां पां वां वां अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा।
वस्त्र अभिमंत्रण मन्त्र- ॐ हीं आँ क्रौ अर्हते नमः। तिलक मन्त्र- ॐ औं ह्रीं क्लौं अर्हते नमः।
रक्षासूत्र अभिमंत्रण मन्त्र- ॐ हीं अवतर-अवतर सोमे-सोमे कुरु-कुरु वग्गु वग्गु निवग्गु निवग्गु सुमणे सोमणसे महुमहुरे ॐ कविल ॐ कः क्षः स्वाहा।
भूमिशोधन मन्त्र- ॐ ह्रीं अहँ भूर्भुवः स्वाधाय स्वाहा। स्थापनीय जलाभिमंत्रण मन्त्र
क्षीरोदधे स्वयम्भूश्च, परः पद्म महाहृदः । शीते शीतोदके! कुण्ड! जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ।। गंगे च यमुने चैव, गोदावरी सरस्वती।
कावेरि नर्मदे सिन्यो, जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ।। ॐ हीं अमते अमृतोद्भवे अमृत वर्षिणि अमृतं स्रावय स्रावय स्वाहा।
अष्ट प्रकारी पूजा सामग्री चढ़ाने का मन्त्र- प्रत्येक द्रव्य निम्न मंत्र बोलकर चढ़ाएँ___ॐ ह्रीं श्रीं परम परमात्मने अनन्ताऽनन्तज्ञान शक्तये जन्मजरा मृत्युनिवारणाय श्रीमती जिनेन्द्राय जलं यजामहे स्वाहा।