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________________ 434... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन 9. माणक स्तम्भ विसर्जन- माणक स्तम्भ के ऊपर पताशा, कुसुमांजलि और पुष्प चढ़ाएँ। फिर 'ॐ विसर-विसर स्वस्थानं गच्छ-गच्छ स्वाहा'- यह मन्त्र पढ़कर स्तम्भ पर वासचूर्ण डालें। फिर माणक स्तम्भ की मौली खोल दें तथा उसे कुछ हिलाएँ। अन्य कुछ भी विसर्जन योग्य हों तो उन्हें विसर्जित करने के पश्चात विसर्जन मुद्रा में हाथ जोड़कर निम्न श्लोक पढ़ते हुए क्षमापना एवं सम्यक्त्वी देवों से अनुग्रह की प्रार्थना करें जिनेन्द्रभक्त्या जिनभक्तिभाजां, येषां च पूजाबलिपुष्पधूपान् । ग्रहा गता ये प्रतिकूलतां च, ते सानुकूला वरदा भवन्तु ।।1।। देवदेवार्चनाथाय(नार्थं तु), पुराऽऽहृता हि ये सुराः। ते विधायार्हतां पूजां, यान्तु सर्वे यथागतम् ।।2।। या पाति शासनं जैनं, सद्यः प्रत्यूहनाशिनी । सा ह्यभिप्रेतसिद्ध्यर्थं, भूयाच्छासनदेवता ।।3।। कीर्तिश्रियो राज्यपदं सुरत्वं, न प्रार्थये किंचन देव यत्त्वाम् । मत्प्रार्थनीयं भगवन् प्रदेयं, स्वदास्यते मानप सर्वदाऽपि ।।4।। भूमौ स्खलितपादानां, भूमिरेवावलम्बनम् । त्वयि जिनापराधानां, त्वमेव शरणं मम ।।5।। आह्वानं नैव जानामि, न जानामि विसर्जनम् । पूजार्चा नैव जानामि, त्वं गतिः परमेश्वरि ।।6।। आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मंत्रहीनं च यत् कृतम् । तत्सर्वं क्षमतां देवी, प्रसीद परमेश्वरि ।।7।। सर्वमंगलमांगल्यं, सर्वकल्याणकारणम् । प्रधानं सर्व धर्माणां, जैन जयति शासनम् ।।8।।69 ॥ इति विसर्जन विधि।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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