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426... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन यक्ष-यक्षिणी की विशेष प्रतिष्ठा निम्न क्रम से करें-66 __ 1. ॐ झी गोमुखयक्षः अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी चक्रेश्वरी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 2. ॐ झी महायक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी अजिते! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 3. ॐ झी त्रिमुखयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी दुरितारि दवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 4. ॐ झी ईश्वरयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ही काली देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। ॐ झी तुम्बरूयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी महाकालीदेवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 6. ॐ झी कुसुमयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी अच्युते देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। ॐ झी मातङ्गयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
झी शान्ता देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। ॐ झी विजययक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा। ॐ झी ज्वाला देवि! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। ॐ झझी अजितयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झीं सुतारे देवि! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 10. ॐ श्री ब्रह्मयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी अशोका देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 11. ॐ झी मनुजेश्वरयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी श्री वत्सा देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 12. ॐ झी कुमारयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी प्रचण्डा देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 13. ॐ झी षण्मुखयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी विजया देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।। 14. ॐ झी पातालयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।
ॐ झी अंकुशा देवी! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा।।