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418... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
मूल मन्त्र यह है- ॐ अं आं ह्रीं नमो सिद्धाणं बुद्धाणं सर्व सिद्धाणं श्री आदिनाथाय नमः।
जो आत्माएँ जिस लिंग में सिद्ध हुई उस लिंग वाले सिद्ध मूर्तियों की प्रतिष्ठा में तद्योग्य वस्तुओं, पात्रों एवं भोजन आदि का दान करें।
यहाँ ध्यातव्य है कि यदि सिद्ध मूर्ति की प्रतिष्ठा गृहस्थ द्वारा की जाए तो उक्त विधि करें और यदि साधु द्वारा की जाती है तो मूल मंत्र के उच्चारण पूर्वक वासचूर्ण डालने मात्र से सिद्ध मूर्ति की प्रतिष्ठा हो जाती है, अन्य विधि करने की जरूरत नहीं रहती।59
॥ इति सिद्धमूर्ति प्रतिष्ठा विधि ।। सरस्वती आदि प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा विधि सरस्वती, पद्मावती, चक्रेश्वरी आदि जो भी सम्यक्त्वी देवियाँ श्रद्धा के रूप में विस्थापित की जाती है उनकी सर्वप्रथम अधिवासना करनी चाहिए।
अधिवासना मंत्र यह है- ॐ नमः। उसके बाद मूर्ति की प्रतिष्ठा करनी चाहिए।
प्रतिष्ठा मंत्र यह है- ॐ हाँ हूँ ह्रीं नमः। तत्पश्चात मूर्ति पर सौभाग्य मंत्र से 7 बार न्यास करना चाहिए।
सौभाग्य मंत्र यह है- ॐ जये श्री हूँ सुभद्रे इं स्वाहा। प्रतिष्ठा के विशेष मंत्र निम्नानुसार है1. ॐ इं ही श्री ही इं सरस्वति! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा 2. ॐ हीं मणिभद्रयक्ष! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा 3. ॐ ह्रीं वं ब्रह्मशान्ते! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा 4. ॐ हीं अं अम्बिके! अवतर-अवतर तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा
॥ इति सरस्वत्यादि प्रतिष्ठा विधि।।
मंत्रपट्ट प्रतिष्ठा विधि मंत्र पट्ट सोना, चाँदी, तांबा, स्फटिक, काष्ठ, वस्त्र आदि अनेक प्रकार के होते हैं। आचार दिनकर में मंत्र पट्ट को संस्कारित करने की विधि निम्न रूप से दर्शायी गई है।
. सर्वप्रथम जिनस्नात्र मिश्रित पंचामृत से मंत्र पट्ट का प्रक्षाल करें। फिर गन्धोदक एवं शुद्ध जल से मंत्र पट्ट का स्नान करें।