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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...411 प्रतिमा उत्थापन एवं संकल्प विधि
जब यह निर्णय कर लिया जाये कि अमुक देवालय का जीर्णोद्धार अत्यावश्यक है तो सर्वप्रथम सविज्ञ आचार्य एवं शिल्प शास्त्रज्ञ से परामर्श कर एक योजना बनायें। तदनन्तर शुभ मुहूर्त का निर्णय करें। तत्पश्चात एक वर्गाकार ठोस चबूतरा (वेदी) बनवायें। फिर वहाँ चंदोवा, छत्र आदि लगवायें, उस स्थान की शुद्धि करवायें, शान्ति मन्त्र का ग्यारह हजार जाप दें। उसके बाद मन्दिर में पूजा विधि करें। तदुपरान्त जीर्णोद्धार कार्य का उत्तरदायित्व स्वीकार करने वाले गृहस्थों को तीर्थंकर परमात्मा की वेदी के समक्ष श्रीफल अर्पित कर, यह संकल्प करवायें
हम देवाधिदेव श्री........ ....... (मूलनायक) सहित समस्त जिनेन्द्र देवों को यहाँ से उत्थपि कर नये स्थान.............. .......... में (जहाँ भगवान को स्थानांतरित करना है) स्थापित करना चाहते हैं। सदैव की भाँति हम वहाँ भी भक्ति पूर्वक देवाधिदेव प्रभु का पूजन-अभिषेक नियमित रूप से करते रहेंगे। जीर्णोद्धार कार्य समाप्त हो जाने पर सभी प्रतिमाओं को विधिपूर्वक मूल स्थान में स्थानांतरित कर देवेंगे। जीर्णोद्धार कार्य को समय मर्यादा में पूरा करने का संकल्प लेते हैं, इस अवधि में .......................... रस त्याग, एकाशन आदि संयम का पालन करेंगे।
यहाँ स्थित जिनशासन प्रभावक देवी-देवताओं से भी प्रार्थना करते हैं कि वे हमें इस धर्म कार्य में पूर्ण सहयोग प्रदान करें तथा यह कार्य निर्विघ्न और समय सीमा में पूरा हो सके इस हेतु समुचित सहकार एवं मार्गदर्शन देवें। ___जिनेन्द्र प्रभु के समक्ष श्रीफल अर्पण कर संकल्प करें। शासन देवों, वास्तु देवों तथा दिक्पाल देवों के समक्ष भी आदर पूर्वक यथायोग्य वन्दना एवं श्रीफल अर्पण कर याचना करें कि यदि कोई जाने-अनजाने में भूल हो जाये तो उसे आप अनुग्रह पूर्वक क्षमा करें तथा समुचित संकेतों से हमें मार्गदर्शन दें।
तदनन्तर मंगल ध्वनि के साथ प्रतिमाओं को नई वेदी पर स्थापित करें। प्रतिमाओं के स्थानान्तरण का यह कार्य पूर्ण सावधानी से करें। इसमें जरा भी प्रमाद या जल्दीबाजी न करें।49