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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ... 405 की बारसाख के स्थान पर तथा द्वितीय नाम का मन्त्रोच्चार करते समय स्वयं के बायें तरफ की बारसाख के स्थान पर वासचूर्ण डालकर द्वारपालों का पूजन करें। • तत्पश्चात द्वार के अंगों- दो शाखा, उंबर एवं उत्तरंग को द्वार के निकट यथास्थान रखकर 1. सप्त धान्य 2. पंचरत्न 3. मंगल मिट्टी 4. कषाय छाल 5. मूलिका चूर्ण 6. अष्टवर्ग 7. पंचगव्य 8. सुवर्णरज और 9 तीर्थ जल- इन नौ द्रव्यों के जल से उनका अभिषेक करें। फिर द्वार के अंगों का शुद्ध जल से अभिषेक कर और उन्हें पौंछकर रक्त वस्त्रों से ढँक दें। • अभिषेक के अनन्तर द्वारांगों को प्रतिष्ठा मंडप में लाएं। यदि प्रतिष्ठा मंडप न हो तो दरवाजे के बाह्य भाग में चन्द्रवा बांधकर उसके नीचे द्वारांगों की अधिवासना विधि करें। उस समय निम्न विद्या को तीन बार कहकर द्वारांगों पर वासचूर्ण डालें ॐ नमो खीरासवलद्धीणं ॐ नमो महुआसवलद्धीणं ॐ नमो संभिन्नसोइणं ॐ नमो पयाणुसारीणं ॐ नमो कुट्ठबुद्धीणं जमियं विज्जं पजामि सा मे विज्जा पसिज्जउ ॐ कः क्षः स्वाहा । फिर द्वारांगों पर चन्दन आदि सुगंधी द्रव्यों के छींटें डालें तथा पुष्प एवं अक्षत चढ़ाएँ। • उसके पश्चात निम्न विधि से उंबर के नीचे वास्तु पूजन करें उंबर के मध्य भाग में छोटा खड्डा करके उसमें पंचरत्न का न्यास करें। ऊपर में ‘ॐ' लिखकर एवं 'ॐ वास्तु पुरुषाय नमः ' इस मन्त्र का स्मरण कर वास-अक्षत डालते हुए वास्तु पुरुष का पूजन करें और चंदन के छींटे डालें। • तदनन्तर शुभ लग्न के आने पर प्रतिष्ठाचार्य सूरिमन्त्र से अथवा प्रतिष्ठा मंत्र से द्वार की प्रतिष्ठा करें। उसमें प्रथम उंबर फिर दाहिनी तरफ की शाखा, फिर बायीं तरफ की शाखा और उत्तरंग - इस क्रम से द्वारांगों को खड़ा करें। इसी क्रम में विष्णुक्रान्ता, ऋद्धि-वृद्धि, कुष्ठ, तिल, लक्ष्मणा, गोरोचन, सहदेवी और दूर्वा - इन सर्व औषधियों की बंधी हुई पोटली उत्तरंग पर बाँधे । • उसके बाद द्वारांगों के ऊपर निम्न छह देवताओं का न्यास करें उत्तरंग के ऊपर-ॐ यक्षेशाय नमः । उम्बर के ऊपर-ॐ श्रियै नमः । स्वयं के दाहिनी तरफ की शाखा के ऊपर - ॐ कालाय नमः ॐ गंगायै नमः । स्वयं के बायीं तरफ की शाखा के ऊपर- ॐ महाकालाय नमः ॐ यमुनाये नमः ।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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