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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...385
प्रतिष्ठा दिन से पूर्व ही नन्द्यावर्त्त पट्ट के ऊपर वर्णित नामों का आलेखन कर उसे श्रेष्ठ वस्त्र से आच्छादित करें। फिर एकान्त स्थान में रख दें।
तदनन्तर जिनबिम्ब की अधिवासना हो जाने के पश्चात अथवा पहले कपूर, श्रेष्ठ चन्दन का चूर्ण एवं श्वेत पुष्पों के द्वारा तथा मन्त्रों के नामोच्चारण पूर्वक नन्द्यावर्त्त पट्ट के प्रत्येक वलय गृहों की क्रमशः पूजा करनी चाहिए।
इस पूजा विधि में आचार्य मन्त्रोच्चार करते हुए वास चूर्ण डालते हैं तथा लाभार्थी परिवार के स्नात्रकार मन्त्रों का श्रवण करते हुए यथाक्रम से पुष्पादि अर्पण करें।
नन्द्यावर्त्तपट्ट पूजन की विधि
विधिमार्गप्रपा के मतानुसार नन्द्यावर्त्त पूजन विधि इस प्रकार हैप्रथम वलय- प्रथम वलय में निम्न मन्त्रों का उच्चारण करते हुए प्रत्येक गृह में उल्लिखित नामों पर आचार्य वासचूर्ण तथा स्नात्रकार पुष्प - कपूर अर्पित करें।
मन्त्र - ॐ नमोऽर्हद्भूयः स्वाहा, ॐ नमः सिद्धेभ्यः स्वाहा, ॐ नमः आचार्येभ्यः स्वाहा, ॐ नमः उपाध्यायेभ्यः, ॐ नमः सर्वसाधुभ्यःस्वाहा, ॐ नमो ज्ञानाय स्वाहा, ॐ नमो दर्शनाय स्वाहा, ॐ नमश्चारित्राय स्वाहा ।
द्वितीय वलय - द्वितीय वलय में निम्न मन्त्रों का उच्चारण करते हुए प्रत्येक गृह में उल्लिखित नामों पर वासचूर्ण तथा स्नात्रकार पुष्प - कपूर अर्पित करें।
मरुदेव्यै स्वाहा 2. ॐ विजया देव्यै स्वाहा 3. ॐ सिद्धार्थ देव्यै स्वाहा 5. ॐ मंगलादेव्यै स्वाहा 6. ॐ
पृथ्वी देव्यै स्वाहा 8. ॐ
लक्ष्मणा देव्यै स्वाहा विष्णु देव्यै स्वाहा
मन्त्र- 1. ॐ सेनादेव्यै स्वाहा 4. ॐ सुसीमा देव्यै स्वाहा 7. ॐ 9. ॐ रामा देव्यै स्वाहा 10. ॐ नन्दा देव्यै स्वाहा 11. ॐ 12. ॐ जया देव्यै स्वाहा 13. ॐ श्यामा देव्यै स्वाहा 14. ॐ सुयशा देव्यै अचिरा देव्यै स्वाहा 17. ॐ श्री पद्मावती देव्यै स्वाहा 20. ॐ शिवा देव्यै स्वाहा 23. ॐ
स्वाहा 15. ॐ सुव्रता देव्यै स्वाहा 16. ॐ देव्यै स्वाहा 18. ॐ देवी देव्यै स्वाहा 19. ॐ पद्मा देव्यै स्वाहा 21. ॐ वामादेव्यै स्वाहा 24. ॐ
वप्रा देव्यै स्वाहा 22. ॐ त्रिशला देव्यै स्वाहा ।