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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ... 383
द्वितीय वलय- तत्पश्चात एक वलयाकार परिधि बनायें। उसके बाहर आग्नेय आदि चारों कोणों में छह-छह गृह की रचना करें। फिर प्रत्येक गृह में क्रमशः चौबीस तीर्थंकरों की माताओं के नाम लिखें- 1. ॐ नमो मरुदेव्यै स्वाहा 2. ॐ नमो विजयायै स्वाहा 3. ॐ नमः सेनायै स्वाहा 4. ॐ नमः सिद्धार्थायै स्वाहा 5. ॐ नमो मंगलायै स्वाहा 6. ॐ नमः सुसीमायै स्वाहा 7. ॐ नमः पृथ्व्यै स्वाहा 8. ॐ नमो लक्ष्मणायै स्वाहा 9. ॐ नमो रामायै स्वाहा 10. ॐ नमो नन्दायै स्वाहा 11. ॐ नमो विष्णवे स्वाहा 12. ॐ नमो जयायै स्वाहा 13. ॐ नमः श्यामायै स्वाहा 14. ॐ नमः सुयशसे स्वाहा 15. ॐ नमः सुव्रतायै स्वाहा 16. ॐ नमोऽचिरायै स्वाहा 17.ॐ नमः श्रियै स्वाहा 18. ॐ नमो देव्यै स्वाहा 19. ॐ नमः प्रभावत्यै स्वाहा 20. ॐ नमः पद्मावत्यै स्वाहा 21. ॐ नमो वप्रायै स्वाहा 22. ॐ नमः शिवायै स्वाहा 23. ॐ नमो वामायै स्वाहा 24. ॐ नमः त्रिशलायै स्वाहा ।
तृतीय वलय- तत्पश्चात पुनः एक मण्डलाकार परिधि बनायें। उसके बाहर पूर्वादि दिशाओं के बीच में चार-चार ऐसे सोलह गृह की रचना करें और उनमें क्रमशः सोलह विद्या देवियों के नाम लिखें- 1. ॐ नमो रोहिण्यै स्वाहा 2. ॐ नमः प्रज्ञप्त्यै स्वाहा 3. ॐ नमो वज्रशृंखलायै स्वाहा 4. ॐ नमो वज्रांकुश्यै स्वाहा 5. ॐ नमोऽप्रतिचक्रायै स्वाहा 6. ॐ नमः पुरुषदत्तायै स्वाहा 7. ॐ नमः काल्यै स्वाहा 8. ॐ नमो महाकाल्यै स्वाहा 9. ॐ नमो गोर्यै स्वाहा 10. ॐ नमो गन्धार्यै स्वाहा 11. ॐ नमो महाज्वालायै स्वाहा 12. ॐ नमो मानव्यै स्वाहा 13. ॐ नमोऽछुप्तायै स्वाहा 14. ॐ नमो वैरोट्यायै स्वाहा 15. ॐ नमो मानस्यै स्वाहा 16. ॐ नमो महामानस्यै स्वाहा ।
चतुर्थ वलय- उसके बाद पुनः बाहर की तरफ एक परिधि बनाकर पूर्वादि चारों दिशाओं के मध्य में छह-छह कुल चौबीस गृह की रचना करें और उनमें चौबीस भवनवासी लोकान्तिक देवों के नाम लिखें- 1. ॐ नमः सारस्वतेभ्यः स्वाहा 2. ॐ नमः आदित्येभ्यः स्वाहा 3. ॐ नमः वह्निभ्यः स्वाहा 4. ॐ नमः वरुणेभ्यः स्वाहा 5. ॐ नमः गर्दतोयेभ्यः स्वाहा 6. ॐ नमस्तुषितेभ्यः स्वाहा 7. ॐ नमोऽव्याबाधितेभ्यः स्वाहा 8. ॐ नमोरिष्टेभ्यः स्वाहा 9. ॐ नमोग्न्यायेभ्यः स्वाहा 10. ॐ नमः सूर्यायेभ्यः स्वाहा 11. ॐ नमश्चन्द्रायेभ्यः