SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 422
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 356 ... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन प्रारम्भ विधि- लग्न दिन से 10,7,5 या 3 दिन पहले गृह चैत्य अथवा जिन चैत्य के चारों ओर 100 हाथ जितनी भूमि शुद्ध करवाएं। जहाँ स्थापनीय बिम्ब रखने हों उस मंडप भूमि की शुद्धि भी इसी तरह करें। इन दोनों जगहों पर चन्द्रवा- पूठिया आदि बांधकर मण्डप की रचना करवाएं तथा दोनों जगह प्रात:सन्ध्या सांझी और प्रभातिया गवाएँ । • गृह प्रमुख या संघ प्रमुख एक व्यक्ति 10 दिन तक एकाशना तप करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, सचित्त का त्याग करें, भूमि पर संथारा करें और हिंसक प्रवृत्ति के त्याग पूर्वक प्रसन्न चित्त रहें । • जिस देवालय में प्रभु की स्थापना करनी हो वहाँ क्रियाकारक सर्वथा शुद्ध वस्त्र पहनकर परम्परानुसार सप्तस्मरण या नवस्मरण का पाठ करें। कुंभ स्थापनादि - बिम्ब प्रवेश के दिन अथवा मुहूर्त्त दिवस के 7 या 5 दिन पूर्व कुंभ चक्र देखकर नूतन जिनमंदिर में धातु की पंच तीर्थी (धातु की प्रतिमा) विराजमान करें। फिर जहाँ बिम्ब की स्थापना की जाएगी वहाँ बिम्ब के दाहिनी ओर जवारारोपण और कुंभ स्थापना करें तथा बायीं ओर दीपक स्थापना करें। सुहागिन श्राविका से गहुंली करवाएं। कुंभ के समीप उस दिन से प्रतिष्ठा दिन तक तीनों समय सप्तस्मरण का पाठ करें। • बिम्ब प्रवेश के तीन दिन शेष रहे तब विशेष रुप से धूप प्रगटाएं। रात्रि जागरण करें। रात्रि का एक प्रहर बीतने के पश्चात जिनालय के रंगमंडप में नैवेद्य चढ़ाएँ, प्रभु की स्थापना होने के पश्चात भी तीन दिन तक इसी तरह नैवेद्य (मिष्ठान्न) चढ़ाएं। नैवेद्य अर्पण की विधि इस प्रकार है- प्रथम चार माता-पिता वाली नारी शुद्ध वस्त्र पहनकर स्वच्छ किए गए धान्य को रांधे, फिर उन्हें कोरे सकोरें में भरकर चढ़ाएं, प्रतिदिन नये सकोरें लें। • बिम्ब प्रवेश के पहले 1. लापसी 2. पुडला 3. भात 4. करंबो 5. दहि 6. खीर 7. शक्कर 8. बड़ा 9. कंकु 10. हलदर 11. पान का बीड़ा 12. सुपारी 13. चवला के बाकले 14. मूंग के बाकले 15. चना के बाकले- ऐसे पन्द्रह खाद्य पदार्थों को तैयार करवाकर प्रत्येक को एक-एक मिट्टी के पात्र (सकोरा) में रखें। एक कोरे पात्र में शुद्ध जल भरें। फिर आटे के दीपक बनाकर प्रत्येक मिट्टी पात्र में एक-एक रखें। फिर प्रत्येक दीपक में चार-चार बत्तियाँ रखकर घी पूरते हुए उन्हें प्रज्वलित करें। फिर एक-एक पात्र को हाथ में लेकर
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy