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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...347 काश्मीरज सुविलिप्तं, दण्डं तन्नीर धारयाऽभिनवम् ।
सन्मंत्र युक्तया शुचिं, जैनं स्नपयामि सिद्ध्यर्थम् ।। मन्त्र- ॐ हाँ ही परम-अर्हते (दण्ड) काश्मीरजशर्करासंयुत जलेन स्नापयामीति स्वाहा। ___ यह मन्त्र पढ़कर 27 डंका बजवायें। फिर अभिषेक करें, तिलक करें, पुष्प चढ़ायें और धूप पूजा करें।
12. तीर्थजल स्नात्र- एक सौ आठ तीर्थों के जल को कलशों में भरकर और 'नमोऽर्हत्.' कहकर निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।
जलधि-नदी-हृद-कुण्डेषु, यानि तीर्थोदकानि शुद्धानि ।
तैर्मन्त्रसंस्कृतैरिह, दण्डं स्नपयामि शुद्धयर्थम् ।। मन्त्र- ॐ ह्रां ह्रीं परम-अर्हते विविध तीर्थोदकेन स्नापयामीति स्वाहा।
मन्त्र कहने के बाद 27 डंका बजवायें। उसके बाद अभिषेक करें, तिलक लगायें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें। ____13. कर्पूर स्नात्र- कपूर चूर्ण को अभिषेक जल में डालकर उसे चार कलशों में भरें। फिर 'नमोऽर्हत्.' पूर्वक श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।
शशिकर तुषार धवला, उज्ज्वल गंधा सुतीर्थ जल मिश्रा
कर्पूरोदक धारा, सुमन्त्रपूता पततु दण्डे ।। मन्त्र-ॐ ह्रां ह्रीं परम-अर्हते कर्पूर संयुत जलेन (कुम्भे) स्नापयामीति स्वाहा।
यह मंत्र कहकर 27 डंका बजवायें। तदनन्तर अभिषेक करें, तिलक लगायें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें। ___ 14. इक्षुरस स्नात्र- शुद्ध जल में इक्षुरस को मिश्रित कर उसे चार कलशों में भरें। फिर 'नमोऽर्हत्.' कह निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।
इक्षुरसोदादुपहृत इक्षुरसः सुरवरैस्त्वदभिषेके ।
भवदवसदवथु भविनां, जनयतु नित्यं सदानन्दम् ।। मन्त्र- ॐ हाँ ही परम-अर्हते इक्षुरससंयुत जलेन स्नापयामीति स्वाहा।
फिर 27 डंका बजवायें। फिर ध्वजदंड का अभिषेक करें, तिलक लगायें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें।
15. घृत-दुग्ध-दधि स्नात्र- शुद्ध जल में दूध-दही-घी मिलाकर उसे