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346... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
मन्त्र- ॐ हाँ ह्रीं परम-अर्हते प्रियङ्ग्वादि सर्वोषधि चूर्ण संयुत जलेन स्नापयामीति स्वाहा
तदनन्तर अभिषेक करें, तिलक करें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें। ___8. गन्ध स्नात्र- गन्ध चूर्ण को जल में डालकर उसे चार कलशों में भरें। फिर 'नमोऽर्हत्.' पूर्वक निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।
गन्याङ्ग स्नानिकया, सन्मृष्टं तदुदकस्य धाराभिः ।
स्नपयामि ध्वज दण्डं, कौघोच्छित्तये शिवदम् ।। मन्त्र- ॐ हाँ ही परम-अर्हते यक्षकर्दमादिगन्धचूर्ण संयुत जलेन स्नापयामीति स्वाहा।
यह मन्त्र बोलने के बाद 27 डंका बजवायें। फिर अभिषेक करें, तिलक करें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें।
9. वास स्नात्र- वासचूर्ण को जल में डालकर उसे चार कलशों में भरें। फिर 'नमोऽर्हत्.' कह निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।
हृद्यैराह्लादकरैः स्पृहणीयै मन्त्रसंस्कृतैर्दण्डम् (कुम्भम्)
स्नपयामि सुगतिहेतो-दण्डम धिवासितं वासैः (चारू) मन्त्र- ॐ ह्रां ह्री परम-अर्हते सुगन्धवासचूर्ण संयुत जलेन स्नापयामीति स्वाहा
यह मन्त्र पढ़कर 27 डंका बजवायें। फिर अभिषेक करें, तिलक लगायें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें।
10. चन्दन स्नात्र- घिसे हुए चन्दन के घोल को जल में मिश्रित कर उसके चार कलश भरें। फिर 'नमोऽर्हत्.' कह निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।
शीतल सरस सुगन्धि-मनोमतश्चंदनगुम समुत्थः ।
चन्दनकल्कः सजलो, मंत्रयुतः पततु वरदण्डे (वर कुम्भे) ।। मन्त्र- ॐ ह्रां ह्रीं परम-अर्हते क्षीर चंदन संयुत जलेन स्नापयामीति
स्वाहा।
माहा।
यह मन्त्र कहकर 27 डंका बजवायें। तत्पश्चात अभिषेक करें, तिलक लगायें, पुष्प चढ़ायें और धूप प्रगटायें।
11. केसर स्नात्र- घिसी हुई केसर का घोल जल में डालकर और उसे चार कलशों में भरकर 'नमोऽर्हत्' पूर्वक निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें।