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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...295 6. आधुनिक विधिकारक नई वेदियों के ऊपर जवारा पात्र नहीं रखते हैं
परन्तु मौलिक विधान के अनुसार चार वेदियों के ऊपर चार जवारा पात्र
अवश्य रखने चाहिए। 7. प्रतिष्ठा की मूल विधि के अनुसार भी नंद्यावर्त्त के चार कोणों में 4 जवारा पात्र रखने चाहिए, परन्तु आजकल ऐसा नहीं होता है।
॥ इति जवारोपण विधि ।।
पाटला पूजन विधि प्रतिष्ठा, शान्तिस्नात्र आदि महापूजन तथा विशिष्ट जाप साधना आदि के अवसर पर शुभ दिन में, नवग्रह-दश दिक्पाल एवं अष्ट मंगल- इन तीनों के चित्रपट्ट की पूजा करना चाहिए। इससे बृहद् अनुष्ठान निर्विघ्न सम्पन्न होते हैं। नवग्रह पूजन विधि .
• मांगलिक अनुष्ठान के प्रथम दिन अथवा दूसरे दिन में पूजा कर्ता नवग्रह चित्रित श्रीपर्णी के पट्ट को धोयें, फिर वासचूर्ण और पुष्प से पट्ट को अधिवासित करें एवं अगर धूप से संस्कारित करें।
. उसके बाद अनार की लेखनी से केशर-कस्तरी-कपर और हींगलोक चूर्ण के रस द्वारा ग्रहों का आलेखन करें।
.फिर जिनबिम्ब के दाहिनी तरफ उस पट्ट को स्थापित करें। उसके बाद पूजा योग्य सर्व सामग्री एक स्थान पर संग्रहित कर दें।
• तदनन्तर पूजा में भाग लेने वाले सभी आराधकों का तिलक करें और उनके हाथ में मीढ़लसूत्र बाँधे।
• उसके बाद गुरु भगवन्त, विधिकारक और उपस्थित सर्वजन इरियावही पूर्वक वज्रपंजर स्तोत्र से आत्मरक्षा करें। 1. सूर्य पूजन
सर्वप्रथम निम्न मन्त्र बोलकर चावल एवं पुष्प से सूर्य ग्रह को बधायें। 'ॐ ह्रीं रत्नांकसूर्याय सहस्रकिरणाय नमो नमः स्वाहा' इसके बाद रक्त चंदन से सूर्य का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से सूर्य का आह्वान करें।
'ॐनमः आदित्याय सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय अमुकग्रहे (अस्मिन् जम्बूद्वीपे दक्षिणार्थ भरते मध्यखण्डे अमुक नगरे अमुक प्रासादे)