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288... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
5. अजिता- (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ कुन्द! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ कुन्दनिधये नमः' (3) 'ॐ वायवे नमः, ॐ अंकुशाय नमः' (4) 'ॐ अजिते! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ अजितायै नमः'- इन मन्त्रों के द्वारा अजिता शिला को वायव्य कोण में प्रतिष्ठित कर निम्न प्रार्थना करें
अजिते! सर्वदा त्वं मां, कामानामजितं कुरू।
प्रासादे तिष्ठ संहृष्ठा, यावच्चन्द्रार्क तारकाः ।। 6. अपराजिता- (1) 'ॐ आधार शिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) ॐ नील! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ नील निधये नमः' (3) ॐ कुबेराय नमः, ॐ गदायै नमः' (4) 'ॐ अपराजिते। इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ अपराजितायै नमः'
इन मन्त्रों को पढ़ते हुए अपराजिता शिला को उत्तर दिशा में स्थापित कर निम्न प्रार्थना करें
स्थिराऽपराजिते भूत्वा, कुरू माम पराजितम् ।
आयुर्दा धनदा पात्र, पुत्र पौत्रप्रदा भव ।। 7. शुक्ला - (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ कच्छप! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ कच्छप निधये नमः' (3) 'ॐ ईशानाय नमः, ॐ त्रिशूलाय नमः' (4) 'ॐ शुक्ले! इहागच्छ, इहतिष्ठ, ॐ शुक्लायै नमः'
इन मन्त्रों के द्वारा शुक्ला शिला को ईशान कोण में स्थापित कर निम्न प्रार्थना करें
शुक्ले! त्वं देहि मे स्थैर्य, स्थिरा भूत्वाऽत्र सर्वदा ।
आयुः कामं श्रियं चापि, प्रासादेऽत्र ममाऽनद्ये ।। 8. सौभागिनी- (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ मुकुन्द! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ मुकुन्द निधये नमः' (3) 'ॐ इन्द्राय नमः, ॐ वज्राय नमः' (4) 'ॐ सौभागिनी! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ सौभागिन्यै नमः'
इस मन्त्रों को पढ़ते हुए सौभागिनी नामक शिला को पूर्व दिशा में प्रतिष्ठित कर निम्न प्रार्थना करें